धोखे से झोंकी जो धूल..
फरेबी आंखों में अब अपनो के गुल दिखने लगे !!
अंसाया साथ एक रात का था..
दिल का भंवर हर-पल गुनगुनाता रहा उसी फूल पर !!
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धीरे-धीरे मिझाजी दिल का नजरिया बदलने लगा !
सर्द हवा फिर लौट आयी..
गुस्ताखी होती तो माफी होती पर उसकी दी चोट दिल पर नासूर बनने लगी !!
वो कमबख्त दिल लगाकर भूल ही गयी…
मौत इंसानों को आती है पर यादों की कोई रिवाई नही होती !!
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धोखे से झोंकी जो धूल…
फरेबी आंखों में अब अपनों के गुल दिखने लगे !
दिल लगाकर रँगी दुनिया मुझसे अपनी खफा हो गयी
पहली मुलाकात में ही मिझाजी दिल मतलबी हो गया !!
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मैला दिल अब धुलने लगा प्यार की फिजाओें में रँगने लगा !
मुलाकात हसीन थी, जिंदगी अब उसके साथ संगीन थी…
एक पल की दूरी दिल को मेरे उससे सालो की वीरानियाँ लगती !!
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धोखे से झोंकी जो धूल..
फरेबी आंखों में अब अपनो के गुल दिखने लगे !
उसका मासूम सा चेहरा, भोली सी आंखे दिल को मेरे ललचाने लगा..
वो कमबख्त हर-पल मेरे दिल पर धोखे से अपनी जगह हथियाने लगी !!
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वो मेरे भोले दिल को मीठी-मीठी बातों में चुपडाने लगी !
बेचारा मेरा दिल…
उसकी हर तलब को मतलब प्यार समझने लगा !!
अंसाया साथ एक रात थी, फिर हुआ उदय सूरज की सच किरणों का..
उसका फरेब दिल से आंखों में नजराने लगा !
वो जाने को दूर मुझसे बहाने रोज नए ढूढने लगी !!
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धोखे से झोंकी जो धूल..
फरेबी आंखों में अब अपनो के गुल दिखने लगे !!
शाम चाँदनी थी रात हसीना के ख्वाब में थी..
दिन की बात थी वो किसी ओऱ संग थी
देखा जब उसे..
मेरा दिल मुझसे कहने लगा,
” धोखे से झोंकी जो धूल तूने, फ़रेबी आखो में अपनो के गुल अब साफ दिखने लगे ” !!
#M@n6i
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waah…..bahut khub.
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धन्यवाद
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