” आधे हम, अधूरे हमारे ख्वाब “

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मैं मजनूँ – तू लैला.. – 🙂

बात अब तो दिल की जुबां पर आने से रह गयी,

आधे थे – हम, अधूरे थे – हमारे ख्वाब..

तेरे बिन जिन्दरी आधी-अधूरी किस्सा बनकर ही रह गयी !!

M@n6i

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2 Comments Add yours

    1. M@n6i says:

      धन्यवाद

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